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अध्याय-6: मेरे बचपन के दिन
सारांश
लेखिका के परिवार में पहले लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। इसीलिए
उनके कुल में 200 वर्षों तक कोई लडक़ी नहीं हुई। 200 वर्षों के बाद लेखिका का जन्म
हुआ। लेखिका के दादा जी ने दर्गुा.पूजा करके लड़की माँगी थी। इसलिए उन्हकं अपने बचपन
में कोई दुख नहीं हुआ। लेखिका को उर्दूए फारसीए अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषाओं को पढ़ने
की सुविध प्राप्त थी। हिंदी पढ़ने के लिए तो उन्हें उनकी माँ ने ही प्रेरित किया था।
लेखिका को हिंदीए संस्कृत पढ़ने में तो बहुत ही आनंद आया किंतु उर्दू8फारसी पढ़ने में
उनकी रुचि नहीं जागी। मिशन स्कूल दिनचर्या भी उन्हें अपनी ओर आकषिर्त न कर सकी। इसीलिए
उन्हें क्राॅस्थवेट गल्र्स काॅलेज में भर्ती कराया गया था। वहाँ उन्हें हिंदू व ईसाई
लड़कियों के साथ रहने का अवसर मिला।
लेखिका जिस छात्रावास में रहती थींए वहाँ हर कमरे में चार-चार छात्राएँ रहती
थीं। लेखिका के कमरे में सुभद्रा कुमारी चाहैान भी थीं जो वहाँ की सीनियर छात्रा थीं।
वे कविता लिखती थीं। इध्र लेखिका की माँ भी भजन लिखती और गाती थीं। अतः उन्हें भी लिखने
की इच्छा हुई। उन्होंने कविता लिखनी प्रारंभ की और लिखती ही चली गईं। एक दिन महादेवी
के द्वारा छिप.छिप कर कविता लिखने की भनक सुभद्रा वुफमारी के कानों में पड़ी तो उन्होंने
लेखिका की काॅपियों में से कविताएँ ढूँढ़कर उनके विषय में सारे छात्रावास को बता दिया।
उस दिन से उन दोनों के बीच मित्राता हो गई। फिर दोनों ही खेल के समय साथ ही बैठकर कविता
लिखने लगीं। उनकी तुकबंदी कर लिखी गई कविता ‘स्त्राी दर्पण’ नामक पत्रिका में प्रकाशित
हुई।
सन 1917 के आस.पास हिंदी के प्रचार का समय था। अतः उन दिनों कवि सम्मेलन खूब
होने लगे थे। लेखिका भी कवि सम्मेलनों में जाने लगीं। उनके साथ क्राॅस्थवेट की एक शिक्षिका
उनके साथ जाया करती थीं। उन कवि सम्मेलनों के अध्यक्ष प्रायः हरिऔधए श्रीधर पाठक जैसे
महान कवि होते थे। अतः लेखिका अपनी बारी का घबराहट के साथ इंतशार करती थीं आरै अपने
नाम की उदघोषणां सुनने के लिए बचे नै रहती थीं। किंतु उन्हों हमशा ही प्रथम परु स्कार
ही मिलता था।
उन्हीं दिनों गांधी जी आनदं भवन आए। लेखका भी अन्य छात्राआ के साथ उनसे भेंट करके जेबखर्च से बचाकर कुछ पैसे देने उनके
पास गईं। उन्होंने कवि सम्मेलन में पुरस्कार स्वरूप मिला एक चाँदी का कटोरा गांधी जी
को दिखाया तथा गांधी जी के माँगने पर देश-हित के लिए उन्हें दे दिया। वे गांधी जी को
वह कीमती तथा स्मृति-चिह्न रूपी कटोरा भेंट करके बहुत खुश हुईं।
छात्रावास का जीवन जाति-पाँति के भदे-भाव से दूर आपसी प्रेम भरा हुआ एक परिवार
जैसा था। अतः जे़बुन नाम की एक मराठी लडक़ीए लेखिका का सारा काम कर देती थी। वह हिंदी
तथा मराठी भाषा का मिलाजुला रूप बाेला करती थी। वह अच्छी हिदीं नहीं जानती थी। वहाँ
एक बेगम थीं जिनको मराठी बालेने पर चिढ़ हातेी थी। ‘हम मराठी हैं तो मराठी हीे बोलगें।
’ उन दिनाे देश में सर्वत्र पारस्परिक प्रेम एवं सद्भाव का वातावरण था। अतः अवध की
छात्राएँ अवधी, बुंदेलखडं की छात्राएँ बुदेंली बोला करती थीं। इससे किसी को कोई आपत्ति
नहीं होती थी। मेस में सभी एक साथ खाना खाती थीं तथा एक ही इशवर प्रार्थना एवं भाजे
न मंत्रा बाले ती थीं। इसमें र्काइे झगडा़ नहीं होता था।
लेखिका का परिवार जहाँ रहता था वहाँ एक जवारा की बेगम साहिबा का परिवार भी
रहता था। उनके परिवारों में बहुत घनिष्ठता थी। उनके बीच कोई जाति एवं र्धम-संबंधी भेदभाव
नहीं था। वे एक-दूसरे के जन्मदिन पर परिवार जैसे मिलते-जुलते थे। बेगम के बच्चे लेखिका
की माँ को चचीजान तथा लेखिका बेगम साहिबा को ताई कहती थीं। लेखिका राखी के दिन बेगम
साहिबा के बच्चों को राखी अवश्य बाँधती थीं तथा मोहर्रम के दिन बेगम साहिबा लेखिका
के लिए कपड़े अवश्य बनवाती थीं।
लेखिका के घर जब छोटे भाई का जन्म हुआ तो बेगम साहिबा ने माँगकर नेग लिया था।
उसका नाम ‘मनमोहन’ भी उन्हीं ने रखा था।
वही मनमोहन वर्मा पढ़.लिखकर प्रोफेसर बने तथा बाद में जम्मू विश्वविद्यालय
तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने।
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 6
प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 74)
mere bachpan ke din question answers
प्रश्न 1
'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों
को सहना पड़ता है।' इसकथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
i.
उस समय लड़कियों की दशा कैसी
थी?
ii.
लड़कियों के जन्म के संबंध में
आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर-
i.
उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत
दयनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त
था। पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था। इसका एक कारण समाज
में व्याप्त दहेज-प्रथा भी थी। इसी कारण से लड़कियों के जन्म के समय या तो उसे मार
दिया जाता था या तो उन्हें बंद कमरे की चार दीवारी के अंदर कैद करके रखा जाता था। शिक्षा
को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित
थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए
बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
ii.
लड़कियों को लेकर पहले की तुलना
में आज की स्थिति में सुधार आया है। इसका एक मात्र कारण अपने अधिकारों को पाने के लिए
नारी की जागरुकता है। यद्यपि स्थिति पूरी तरह से अनूकूल नहीं है परन्तु फिर भी आज के
समाज में नारियों को उचित स्थान प्राप्त है। आज भी कुछ परिवारों में नारी की स्वतंत्रता
पर प्रश्न चिन्ह है। कहीं-कहीं पर दहेज-प्रथा है। परन्तु निष्कर्ष तौर पर हम कह सकते
हैं कि समय के साथ-साथ लड़कियों की स्थिति में पहले से अधिक सुधार आया है। हमारे समाज
में भी नारी के अस्तित्व को लेकर लोगों का दृष्टिकोण बदल रहा है। अत: हम कह सकते हैं
कि पुरुष प्रधान समाज में नारी आज पुरुषों से पीछे नहीं है।
प्रश्न 2
लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई?
उत्तर- लेखिका
को बचपन में उर्दू पढ़ाने के लिए मौलवी रखा गया परन्तु उनकी इसमें रूचि न होने के कारण
वो उर्दू-फारसी नही सीख पायीं।
प्रश्न 3
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर- महादेवी
की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं। वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे पूजा-पाठ
किया करती थीं। वे ईश्वर में आस्था रखती थीं। सवेरे “कृपानिधान पंछी बन बोले” पद गाती
थीं। प्रभाती गाती थीं। शाम को मीरा के पद गाती थीं। वे लिखा भी करती थीं। लेखिका ने
अपनी माँ के हिंदी-प्रेम और लेखन गायन के शौक का वर्णन किया है। उन्हें हिंदी तथा संस्कृत
का अच्छा ज्ञान था। इसलिए इन दोनों भाषाओं का प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा।
प्रश्न 4
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न
जैसे क्यों कहा है?
उत्तर- पहले
हिंदु- मुस्लिम को लेकर इतना भेदभाव नहीं था। हिंदु और मुस्लिम दोनों एक ही देश में
प्रेम पूर्वक रहते थे। स्वतंत्रता के पश्चात् हिंदु और मुस्लिम संबन्धों में बदलाव
आ गया है। आपसी फूट के कारण देश दो हिस्सों में बँट गया − पाकिस्तान मुस्लिम प्रधान
देश के रुप में प्रतिष्ठित है तथा हिंदुस्तान में हिंदुओं का वर्चस्व कायम है। ऐसी
परिस्थिति में हिंदु तथा मुस्लिम दो अलग-अलग धर्मों के लोगों का प्रेमपूर्वक रहना स्वप्न
समान प्रतीत होता है।
रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 74)
प्रश्न 1
ज़ेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। ज़ेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप
होतीं/ होते तो महादेवी सेआपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर- ज़ेबुन्निसा
महादेवी वर्मा के लिए उनका काम करता थी। इससे काव्य रचना के लिए महादेवी वर्मा को काफ़ी
सहयोग मिल जाता था। हमें भी किसी की प्रतिभा को उभारने के लिए इसी तरह का सहयोग करना
चाहिए।
प्रश्न 2
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको
इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना
पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/ करेंगी?
उत्तर- हमारा
भी देश के प्रति कई कर्तव्य हैं। अगर मुझे भी देशहित या आपदा निवारण के सहयोग में अपने
पुरस्कार को त्याग करना पड़े तो इसमें मुझे प्रसन्नता होगी। आखिर मेरा कुछ तो देश या
लोगो के काम आ पाया। देश प्रेम के आगे पुरस्कार का कोई मूल्य नहीं है।
प्रश्न 3
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर- लेखिका
“महादेवी वर्मा” के छात्रावास का परिवेश बहुभाषी था। कोई हिंदी बोलता था तो किसी की
भाषा उर्दू थी। वहाँ कुछ मराठी लड़किया भी थीं, जो आपस में मराठी बोलती थीं। अवध की
लड़कियाँ आपस में अवधी बोलती थीं। बुंदेलखंड की लड़कियाँ बुंदेली में बात करती थीं।
अलग-अलग प्रांत के होने के बावजूद भी वे आपस में हिंदी में ही बातें करती थीं। छात्रावास
में उन्हें हिंदी तथा उर्दू दोनों की शिक्षा दी जाती थी।
प्रश्न 4
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की स्मृति उभरकर
आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर- एक
दिन की बात है, मैं और मेरा मित्र पाठशाला से घर लौट रहे थे। हमें सड़क पार करनी थी।
मैं आगे था मैंने ठीक से सड़क पार कर ली परंतु तब तक सिगनल हरा हो गया और वाहन तेज़
गति से आगे बढ़ने लगे। मेरे मित्र ने सड़क के दोनों ओर देखा ही नहीं और लापरवाही से
सड़क पार करने लगा। कार चालाक ने बड़ा प्रयास किया कि मेरे मित्र को समय रहते सूचित
किया जा सके परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। कार चालाक ने मेरे मित्र को बचाने के प्रयास
में कार को इधर-उधर घुमाने का प्रयास किया। इस प्रयास में उसकी कार हमारे विद्यालय
के पास एक पेड़ से जा टकराई। इस टक्कर में कार चालक बुरी तरह घायल हो गया।
उसे गंभीर
चोटें आईं थीं। संयोग से पास ही अस्पताल होने के कारण कार चालक को चिकित्सा सुविधा
समय रहते उपलब्ध करवाई जा सकी और उसकी जान बच गई। इस घटना ने मेरे होश उड़ा दिए। मेरे
मित्र को भी बहुत ग्लानि का अनुभव हुआ। उस दिन के बाद मैंने सड़क पार करते हुए कभी
लापरवाही नहीं बरती। यह घटना मेरे लिए अविस्मरणीय घटना बन गई।
प्रश्न 5
महादेवी ने कवि-सम्मेलनों में कविता-पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली
बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में
भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर- ४
अगस्त,२०-
आज हमारे
विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया
था। इस कार्यक्रम में मुझे अपने मित्र के साथ नृत्य प्रस्तुत करना था। हमारा नृत्य
तीसरा था। हम कार्यक्रम शुरू होने पहले वस्त्र और आभूषण के साथ सुसज्ज हो गए थे। पर
जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ मेरे दिल कई धड़कने बढ़नी लगी। मैंने पहली बार ऐसे कार्यक्रम
में नाम लिखवाया था। और देखते देखते हमारा नाम पुकारा गया। जैसे ही हम मंच पर गए सबने
तालियों से हमें प्रोत्साहन दिया। मुझ में धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ता गया और में नृत्य
में लीन हो गया। सब को हमारा नृत्य बहुत अच्छा लगा। यह दिन मुझे हमेशा याद रहेंगा।
भाषा- अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 74-75)
प्रश्न 1
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
विद्वान,
अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर- विलोम
शब्द-
i.
विद्वान- मूर्ख
ii.
अनंत- संक्षिप्त
iii.
निरपराधी- अपराधी
iv.
दंड- पुरस्कार
v.
शांति- अशांति
प्रश्न 2
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/ प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहारी,
साम्प्रदायिकता, अप्रसन्नता, अपनापन, किनारीदार, स्वतंत्रता
उत्तर-
i.
निराहारी- निर् + आहार + ई
सांप्रदायिकता - सम्प्रदाय + इक + ता
ii.
अप्रसन्नता- अ + प्रसन्न +
ता
iii.
अपनापन- अपना + पन
iv.
किनारीदार- किनारा + ई + दार
v.
स्वतंत्रता- स्वतंत्र + ता
प्रश्न 3
निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए–
उपसर्ग– अन्,
अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय–
दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर- उपसर्ग–
· अन्– अन्वेषण, अनशन
· अ– असत्य, अन्याय
· सत्– सत्चरित्र, ,सत्कर्म
· स्व– स्वराज, स्वाधीन
· दुर्– दुर्जन, दुर्व्यवहार
प्रत्यय–
· दार– किनारेदार, दुकानदार
· हार– पालनहार, तारनहार
· वाला– फलवाला, मिठाईवाला
· अनीय– दर्शनीय, आदरनीय
प्रश्न 4
पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए–
पूजा-पाठ |
पूजा और पाठ |
................................. |
.................................. |
................................. |
.................................. |
................................. |
.................................. |
................................. |
.................................. |
उत्तर-
सामासिक पद |
विग्रह |
परमधाम |
परम है जो धाम |
दुर्गापूजा |
दुर्गा की पूजा |
कुलदेवी |
कुल की देवी |
पंचतंत्र |
पाँच तंत्रों का समूह |
रोना-धोना |
रोना और धोना |
उर्दू-फ़ारसी |
उर्दू और फ़ारसी |
चाची-ताई |
चाची और ताई |
छात्रावास |
छात्रों के लिए आवास |
कवि-सम्मेलन |
कवियों का सम्मेलन |
जेब-खर्च |
जेब के लिए खर्च |