Looking for a one-stop guide on the captivating Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1, also known as Gillu? Your search ends here! We offer an extensive collection of study materials that cater to students, parents, and teachers alike. Our resources on Gillu Class 9 question answer are perfect for anyone aiming to score high in exams. We simplify the complex elements of this chapter to make it easily understandable for all.
Curious about what Gillu is all about? Our Gillu Class 9 summary gives you a quick yet comprehensive overview of the entire chapter, helping you grasp its core essence. You can further delve into the details with our Gillu Class 9th question answer section, which breaks down each question to offer clear and concise answers. If you prefer studying offline, don't worry! We offer Gillu Class 9 PDF for a hassle-free offline learning experience.
Not just that, we also offer Gillu summary in Hindi to ensure that language is never a barrier in your learning journey. If you want to further enrich your understanding of the chapter, our Gillu lesson notes can be your best companion. And for the question-answer enthusiasts, we have Gillu question answers and Class 9 Gillu question answer that are thorough and easy to comprehend.
So whether it's Gillu Class 9th question answer, Sanchayan Class 9 Chapter 1, or Sanchayan Class 9 Ch 1 that you're interested in, our platform provides it all under one roof. We take pride in making your learning journey smooth and enjoyable. Our materials are designed to make Gillu not just an academic chapter but a lesson for life. Start exploring our resources today to master Gillu like never before. With our complete and accessible offerings, success in your exams is just a click away!
अध्याय-1: गिल्लू
-महादेवी वर्मा
सारांश
इस पाठ में लेखिका महादेवी वर्मा का एक छोटे, चंचल जीव गिलहरी के प्रति प्रेम
झलकता है। उन्होंने इस पाठ में उसके विभिन्न क्रियाकलापों और लेखिका के प्रति उसके
प्रेम से हमें अवगत कराया है। उन्होंने गिलहरी जैसे लघु जीव के जीवन का बड़ा अच्छे
ढंग से चित्रण किया है।
एक दिन लेखिका की नजर बरामदे में गिलहरी के एक छोटे से बच्चे पर पड़ी जो शायद
घोंसले से गिर गया होगा जिसे दो कौवे मिलकर अपना शिकार बनाने की तैयारी में थे। लेखिका
गिलहरी के बच्चे को उठाकर अपने रूम ले गयी और कौवे की चोंच से घायल बच्चे का मरहम-पट्टी
किया। कई घंटे के उपचार के बाद मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह
इतना अच्छा हो गया कि लेखिका की ऊँगली अपने पंजो से पकड़ने लगा।
तीन चार महीने में उसके चिकने रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकती आँखें सभी
को आश्चर्य में डालने लगीं। लेखिका ने उसका नाम गिल्लू रखा। लेखिका ने फूल रखने की
एक हल्की डलिया में रुई बिछाकर तार से खिड़की पर लटका दिया जो दो साल तक गिल्लू का
घर रहा।
गिल्लू ने लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए वह लेखिका के पैर तक आकर सर्र
से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। वह दौड़ लगाने का काम तब तक करता जब
तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। वह अपनी चमकीली आँखों से लेखिका के क्रियाकलापों
को भी देखा करता। भूख लगने पर वह लेखिका को चिक-चिक कर सूचना देता था।
गिल्लू के जीवन में पहला बसंत आया। अन्य गिलहरियाँ जाली खिड़की के जाली के
पास आकर चिक-चिक करने लगीं और गिल्लू भी जाली के पास जाकर बैठा रहता। इसे देखकर लेखिका
ने जाली के एक कोना खोलकर गिल्लू को मुक्त कर दिया।
लेखिका के कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी जाली से बाहर चला जाता। वह दिन भर
अन्य गिलहरियों के साथ उछलता-कूदता और शाम होते ही अपने झूले में वापस आ जाता। लेखिका
के खाने के कमरे में पहुँचते ही गिल्लू भी वहाँ पहुँच जाता और थाली में बैठ जाना चाहता।
बड़ी मुश्किल से लेखिका ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया। वह वहीं बैठकर चावल का एक-एक
दानासफाई से खाता।
गिल्लू का प्रिय खाद्य पदार्थ काजू था। कई दिन काजू नहीं मिलने पर वह अन्य
खानें की चीजें लेना बंद कर देता या झूले से नीचे फेंक देता था।
उसी बीच लेखिका मोटर दुर्घटना में आहत हो गयीं जिससे उन्हें कुछ दिन अस्पताल
में रुकना पड़ा। उन दिनों में गिल्लू ने अपना प्रिय पदार्थ काजू लेना काफी कर दिया
था। लेखिका के घर लौटने पर वह तकिये पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे पंजों से लेखिका सर
और बालों को हौले-हौले सहलाता और एक सेविका की भूमिका निभाता।
गर्मियों में वह लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता और लेखिका के समीप रहने
के साथ-साथ ठंडक में भी रहता।
चूँकि गिलहरियों की उम्र दो वर्ष से अधिक नहीं होती इसलिए उसके जीवन का भी
अंत आ गया। दिन भर उसने कुछ नहीं खाया-पीया। रात में वह झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर
पर आया और ठंडे पंजों से उनकी उँगली पकड़कर चिपक गया। लेखिका ने हीटर जलाकर उसे ऊष्मा
देने का प्रयास किया परन्तु प्रयास व्यर्थ रहा और सुबह की पहली किरण के साथ सदा के
लिए सो गया।
लेखिका ने उसे सोनजुही की लता के नीचे उसे समाधि दी। सोनजुही में एक पीली कली
को देखकर लेखिका को गिल्लू की याद आ गयी।
NCERT SOLUTIONS
बोध-प्रश्न प्रश्न (पृष्ठ संख्या 6-7)
प्रश्न 1 सोनजुही में लगी पीली कली को देख
लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर- सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर
लेखिका के मन में यह विचार आया कि गिल्लू सोनजुही के पास ही मिट्टी में दबाया गया था।
इसलिए अब वह मिट्टी में विलीन हो गया होगा और उसे चौंकाने के लिए सोनजुही के पीले फूल
के रूप में फूट आया होगा।
प्रश्न 2 पाठ के आधार पर कौए को एक साथ
समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर- हिंदू संस्कृति में ऐसी मान्यता
है कि पितृपक्ष में हमारे पूर्वज हमसे कुछ पाने के लिए कौए के रूप में हमारे सामने
आते हैं। इसके अलावा कौए हमारे दूरस्थ रिश्तेदारों के आगमन की सूचना भी देते हैं, जिससे
उसे आदर मिलता है। दूसरी ओर कौए की कर्कश भरी काँव-काँव को हम अवमानना के रूप में प्रयुक्त
करते हैं। इससे वह तिरस्कार का पात्र बनता है। इस प्रकार एक साथ आदर और अनादर पाने
के कारण कौए को समादरित और अनादरित कहा गया है।
प्रश्न 3 गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार
किस प्रकार किया गया?
उत्तर- महादेवी वर्मा ने गिलहरी के घायल
बच्चे का उपचार बड़े ध्यान से ममतापूर्वक किया। पहले उसे कमरे में लाया गया। उसका खून
पोंछकर घावों पर पेंसिलिन लगाई गई। उसे रुई की बत्ती से दूध पिलाने की कोशिश की गई।
परंतु दूध की बूंदें मुँह के बाहर ही लुढ़क गईं। कुछ समय बाद मुँह में पानी टपकाया
गया। इस प्रकार उसका बहुत कोमलतापूर्वक उपचार किया गया।
प्रश्न 4 लेखिको का ध्यान आकर्षित करने
के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर- लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के
लिए गिल्लू-
· उसके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और उसी तेज़ी से उतरता था। वह ऐसा
तब तक करता था, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठ जाती।
· भूख लगने पर वह चिक-चिक की आवाज़ करके लेखिका का ध्यान खींचता था।
प्रश्न 5 गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता
क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर- महादेवी ने देखा कि गिल्लू अपने
हिसाब से जवान हो गया था। उसका पहला वसंत आ चुका था। खिड़की के बाहर कुछ गिलहरियाँ
भी आकर चिकचिक करने लगी थीं। गिल्लू उनकी तरफ प्यार से देखता रहता था। इसलिए महादेवी
ने समझ लिया कि अब उसे गिलहरियों के बीच स्वच्छंद विहार के लिए छोड़ देना चाहिए।
लेखिका ने गिल्लू की जाली की एक कील इस
तरह उखाड़ दी कि उसके आने-जाने का रास्ता बन गया। अब वह जाली के बाहर अपनी इच्छा से
आ-जा सकता था।
प्रश्न 6 गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका
की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर- लेखिका एक मोटर दुर्घटना में आहत
हो गई थी। अस्वस्थता की दशा में उसे कुछ समय बिस्तर पर रहना पड़ा था। लेखिका की ऐसी
हालत देख गिल्लू परिचारिका की तरह उसके सिरहाने तकिए पर बैठा रहता और अपने नन्हें-नन्हें
पंजों से उसके (लेखिका के) सिर और बालों को इस तरह सहलाता मानो वह कोई परिचारिका हो।
प्रश्न 7 गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह
आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
उत्तर- गिल्लू की निम्नलिखित चेष्टाओं से
महादेवी को लगा कि अब उसका अंत समीप है-
· उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया।
· वह रात को अपना झूला छोड़कर महादेवी के बिस्तर पर आ गया और उनकी उँगली पकड़कर
हाथ से चिपक गया।
प्रश्न 8 ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श
के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- आशय यह है गिल्लू का अंत समय निकट
आ गया था। उसके पंजे ठंडे हो गए थे। उसने लेखिका की अँगुली पकड़ रखा था। उसने उष्णता
देने के लिए हीटर जलाया। रात तो जैसे-तैसे बीती परंतु सवेरा होते ही गिल्लू के जीवन
का अंत हो गया।
प्रश्न 9 सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू
की समाधि से लेखिको के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर- सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की
समाधि बनी थी। इससे लेखिका के मन में यह विश्वास जम गया कि एक-न-एक दिन यह गिल्लू इसी
सोनजुही की बेल पर पीले चटक फूल के रूप में जन्म ले लेगा।