Kallu Kumhar Ki Unakoti Question Answer

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अध्याय-3: कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

-के. विक्रम सिंह

सारांश

इस पाठ में लेखक ने अपनी त्रिपुरा यात्रा का वर्णन किया है। इन्होनें त्रिपुरा के व्यक्तियों, धर्मों, दर्शनीय स्थलों आदि का वर्णन किया है। यह पाठ हमें छोटे से राज्य त्रिपुरा के बारे में कई जानकरियाँ देता है।

लेखक सूर्योदय के समय उठतें हैं, चाय और अखबार लेकर सुबह का आनंद लेते हैं। एक दिन लेखक की नींद बिजलियाँ चमकने और बादलों के गर्जना की कानफोड़ू आवाज़ से खुली। इस दृश्य ने उन्हें दिसम्बर 1999 की घटना जब वह ‘ऑन द रोड’ शीर्षक की टीवी श्रृंखला बनाने के सिलसिले में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की यात्रा पर गए थे की याद दिला दी। श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य त्रिपुरा की राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से यात्रा करने और राज्य के विकास संबंधी गतिविधियों की बारे में जानकारी देना था।

त्रिपुरा राज्य की जनसंख्या 34 प्रतिशत है, जो काफी ऊँची है। यह राज्य बांग्लादेश से तीन तरफ से घिरा है और एक तरफ से भारत के दो राज्य मिजोरम और असम सटे हैं। सोनुपुरा, बेलोनिया, सबरूम, कैलासशहर त्रिपुरा के महत्वपूर्ण शहर हैं, जो बांग्लादेश करीब है। अगरतला भी सीमा चौकी से दो किलोमीटर दूर है। बांग्लादेश, अस्मा, पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों से लोगों की भारी आवक ने यहाँ के जनसंख्या को असंतुलित कर दिया है, जो त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष की मुख्य वजह है।

पहले तीन दिनों में लेखक ने अगरतला और उसके नजदीक स्थित जगहों की शूटिंग की। उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है जिसमें अब वहाँ की राज्य विधानसभा बैठती है। त्रिपुरा में बाहरी लोगों के आने से समस्याएँ पैदा हुईं हैं, लेकिन इस कारण यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बना है। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है।

अगरतल्ला के बाद लेखक टीलियामुरा कस्बा पहुँचे जो एक विशाल गाँव है। यहाँ लेखक की मुलाकात हेमंत कुमार जमातिया से हुई। जिन्हें 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। ये कोकबारोक बोली में गाते हैं जो त्रिपुरा की कबीलाई बोलियों में से है। हेमंत ने हथियारबंद संघर्ष का रास्ता छोड़कर चुनाव लड़ा और जिला परिषद के सदस्य बने गए थे। जिला परिषद ने लेखक के शूटिंग यूनिट के लिए एक भोज का आयोजन भी किया जिसमें उन्हें सीधा-सादा खाना परोसा गया। भोज के बाद लेखक ने हेमंत से गीत सुनाने के अनुरोध किया और उन्होंने लेखक को धरती पर बहती शक्तिशाली नदियों, ताज़गी भरी हवाओं और शांति का एक गीत गाया। बॉलीवुड के सबसे मौलिक संगीतकारों में एक एस. डी. बर्मन त्रिपुरा से ही थे।

टीलियामुरा शहर के वार्ड नं. 3 में लेखक की मुलाकात एक और गायक मंजू ऋषिदास से हुई। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है जो जूते बनाने के अलावा तबला और ढोल जैसे वाद्यों का निमाण भी करते हैं। ऋषिदास रेडियो कलाकार होने के अतिरिक्त नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। उन्होंने लेखक को दो गीत सुनाए  जिनका लेखक ने शूटिंग किया।

टीलियामुरा के बाद त्रिपुरा का हिंसाग्रस्त इलाका शुरू होता है। लेखक वहाँ से सी.आर.पी.एफ. की हथियारबन्द गाड़ी में मनु कस्बे ओर चल पड़े। मनु कस्बा मनु नदी के किनारे स्थित है। शाम के समय वे लोग मनु कस्बा पहुँचे। वे लोग उत्तरी त्रिपुरा जिले में पहुँच चुके थे। वहाँ लोकप्रिय घरेलू गतिविधियों में से एक है अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींके तैयार करना। अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है।

उत्तरी त्रिपुरा जिले का मुख्यालय कैलासशहर है जो बांग्लादेश की सीमा से करीब है। यहाँ के जिलाधिकारी से लेखक ने टी.पी.एस (टरु पोटेटो सीड्स) के बारे में जाना जो मात्र 100 ग्राम में ही एक हेक्टेयर की बुआई कर देती है।

लेखक को बाद में उनकोटि के बारे में पता चला जो देश के सबसे बड़े तीर्थों में से एक है। उनाकोटी का अर्थ होता है एक करोड़ से कम। दंतकथा के अनुसार उनकोटि में शिव की एक करोड़ में से एक मूर्ति कम है। विद्वानों के अनुसार यह जगह दस वर्ग से किलोमीटर इलाके से ज्यादा में फैली हुयी है। पहाड़ों को अंदर से काटकर मूर्तियों का निर्माण किया गया है। एक विशाल चट्टान पर गंगा अवतरण की कथा को चित्रित किया गया है।

इन आधार-मूर्तियों का निर्माता कौन है यह नहीं पता है। आदिवासियों के अनुसार इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। कल्लू पार्वती का बड़ा भक्त था और शिव-पार्वती के साथ कैलाश जाना चाहता था। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को ले जाने के लिए तैयार हो गए परन्तु उन्होंने शर्त रखी कि एक रात में कल्लू कुम्हार को शिव की एक कोटि मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू रात भर काम करता रहा परन्तु सुबह में उसकी मूर्तियों की संख्या एक करोड़ में से एक कम निकलीं। इसी बात का बहाना बनाते हुए शिव ने कल्लू कुम्हार से अपना पीछा छुड़ा लिया और कैलाश चले गए।

इस जगह की शूटिंग करते हुए लेखक को चार बजे गए। उनाकोटी में अँधेरा छा गया और बादल गरज-गरज कर बरसने लगे। आज का गर्जन ने लेखक को तीन साल पहले वाले उनाकोटी के गर्जन का याद दिला दिया।


 

NCERT SOLUTIONS

बोध-प्रश्न प्रश्न (पृष्ठ संख्या 26)

प्रश्न 1 ‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर- उनाकोटी का अर्थ है-एक कोटी अर्थात् एक करोड़ से एक कम। इस स्थान पर भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। इतनी अधिक मूर्तियाँ एक ही स्थान पर होने के कारण यह स्थाने प्रसिद्ध है।

प्रश्न 2 पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- उनाकोटी में पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार मूर्तियाँ बनाई गई हैं। अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धंसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसके लिए शिव को राजी किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और बाद में धीरे-धीरे बहने दें। शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है। उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली है। यहाँ पूरे साल बहने वाला जल प्रपात है, जिसे गंगा जल की तरह ही पवित्र माना जाता है।

प्रश्न 3 कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

उत्तर- स्थानीय आदिवासियों के अनुसार कल्लू कुम्हार ने ही उनाकोटी की शिव मूर्तियों का निर्माण किया है। वह शिव का भक्त था। वह उनके साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। भगवान शिव ने शर्त रखी कि वह एक रात में एक करोड़ शिव मूर्तियों का निर्माण करे। सुबह होने पर एक मूर्ति कम निकली। इस प्रकार शिव ने उसे वहीं छोड़ दिया। इसी मान्यता के कारण कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया।

प्रश्न 4 मेरी रीढ़ में एक झुरझरी-सी दौड़ गई’-लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?

उत्तर- लेखक राजमार्ग संख्या 44 पर टीलियामुरा से 83 किलोमीटर आगे मनु नामक स्थान पर शूटिंग के लिए जा रहा था। इ यात्रा में वह सी.आर.पी.एफ. की सुरक्षा में चल रहा था। लेखक और उसका कैमरा मैन हथियार बंद गाड़ी में चल रहे। थे। लेखक अपने काम में इतना व्यस्त था कि उसके मन में डर के लिए जगह न थी। तभी एक सुरक्षा कर्मी ने निचली पहाड़ियों पर रखे दो पत्थरों की ओर ध्यान आकृष्ट करके कहा कि दो दिन पहले उनका एक जवान विद्रोहियों द्वारा मार डाला गया था। यह सुनकर लेखक की रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई।

प्रश्न 5 त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?

उत्तर- त्रिपुरा में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग बाहरी क्षेत्रों से आकर बस गए हैं। इस प्रकार यहाँ अनेक धर्मों का समावेश हो गया है। तब से यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया है।

प्रश्न 6 टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?

उत्तर- टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय जिन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ उनमें एक हैं- हेमंत कुमार जमातिया, जो त्रिपुरा के प्रसिद्ध लोक गायक हैं। जमातिया 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत किए जा चुके हैं। अपनी युवावस्था में वे पीपुल्स लिबरेशन आर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता थे, पर अब वे चुनाव लड़ने के बाद जिला परिषद के सदस्य बन गए हैं।

लेखक की मुलाकात दूसरी प्रमुख हस्ती मंजु ऋषिदास से हुई, जो आकर्षक महिला थी। वे रेडियो कलाकार होने के साथसाथ नगर पंचायत की सदस्या भी थीं। लेखक ने उनके गाए दो गानों की शूटिंग की। गीत के तुरंत बाद मंजु ने एक कुशल गृहिणी के रूप में चाय बनाकर पिलाई।

प्रश्न 7 कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?

उत्तर- कैलासशहर के जिलाधिकारी ने लेखक को बताया कि यहाँ बुआई के लिए पारंपरिक आलू के बीजों के बजाय टी.पी.एस. नामक अलग किस्म के आलू के बीज का प्रयोग किया जाता है। इस बीज से कम मात्रा में ज्यादा पैदावार ली जा सकती है। यहाँ के निवासी इस तकनीक से काफी लाभ कमाते हैं।

प्रश्न 8 त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?

उत्तर- त्रिपुरा के लघु उद्योगों में मुख्यतः बाँस की पतली-पतली सीकें तैयार की जाती हैं। इनका प्रयोग अगरबत्तियाँ बनाने में किया जाता है। इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है ताकि अगरबत्तियाँ तैयार की जा सकें। त्रिपुरा में बाँस बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इस बाँस से टोकरियाँ सजावटी वस्तुएँ आदि तैयार की जाती हैं।

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