Sawle Sapno Ki Yaad Question Answers

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अध्याय-4: साँवले सपनों की याद

सारांश

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साँवले सपनों की याद’ पाठ में एक व्यक्ति का चित्रा खींचा गया है। अतः यह एक व्यक्ति-चित्रा है। लेखक कहते हैं कि सुनहरे रंग के पक्षियों के पंखों पर साँवले सपनों का एक हुजूम सवार होकर मौत की खामोश वादी की तरफ चला जा रहा है। उस झुंड में सबसे आगे सालिम अली चल रहे हैं। वे सैलानियों की तरह एक अंतहीन यात्रा की ओर चल पड़े हैं। इस बार का सफर उनका आखिरी सफर है। इस बार उन्हें कोई भी वापस नहीं बुला सकता क्योंकि वे अब एक पक्षी की तरह मौत की गोद में जा बसे हैं।

सालिम अली इस बात से दुखी तथा नाराज़ थे कि लोग पक्षियों को आदमी की तरह देखते हैं। लोग पहाड़ों, झरनों तथा जंगलों को भी आदमी की नज़र से देखते हैं। यह गलत है क्योंकि कोई भी आदमी पक्षियों की मधुर आवाज़ सुनकर रोमांचित नहीं हो सकता है।

 लेखक कहते हैं कि वृंदावन में भगवान कृष्ण ने पता नहीं कब रासलीला की थी, कब ग्वाल-बालों के साथ खेल खेले थे? कब मक्खन खाया था? कब बाँसुरी बजाई थी? कब वन-विहार किया था?

किंतु आज जब हम यमुना के काले पानी को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि अभी-अभी भगवान श्रीकृष्ण बाँसुरी बजाते हुए आ जाएँगे और सारे वातावरण में संगीत का जादू छा जाएगा। वृंदावन से कृष्ण की बाँसुरी का जादू कभी खत्म ही नहीं होता।

सालिम अली ने बहुत भ्रमण किया था तथा उनकी उम्र सौ वर्ष की हो रही थी। अतः उनका शरीर दुर्बल हो गया था। मुख्यतः वे यात्रा करते-करते थक चुके थे, किंतु इस उम्र में भी उनके अंदर पक्षियों को खोजने का जुनून सवार था। दूरबीन उनकी आँखों पर या गरदन में पड़ी ही रहती थी तथा उनकी नज़र दूर-दूर तक फैले आकाश में पक्षियों को ढूँढ़ती रहती थी। उन्हें प्रकृति में एक हँसता-खेलता सुंदर-सलोना संसार दिखाई देता था।

इस सुंदर रहस्यमयी दुनिया को उन्होंने बड़े परिश्रम से बनाया था। इसके बनाने में उनकी पत्नी तहमीना का भी योगदान था। सालिम अली केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तान के झोंकों से बचाना चाहते थे। इसलिए वे एक बार पूर्व प्रधानमंत्राी चौधरी चरण सिंह से भी मिले थे। चौधरी चरण सिंह गाँव में जन्मे हुए थे और गाँव की मिट्टी से जुड़े हुए थे। अतः वे सालिम अली की पर्यावरण की सुरक्षा संबंधी बातें सुनकर भावुक हो गए थे। आज ये दोनों व्यक्ति नहीं हैं। अब देखते हैं कि हिमालय के घने जंगलोंए बर्फ़ से ढकी चोटियों तथा लेह – लद्दाख की बर्फीली ज़मीनों पर रहने वाले पक्षियों की चिंता कौन करता है ?

सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम रखा था ‘फाल आ.फ ए स्पैरो’। लेखक को याद है कि डी.एच. लारेंस की मृत्यु के बाद जब लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा लारेंस से अपने पति के बारे में लिखने का अनुरोध् किया तो वे बोली थीं कि मेरे लिए लारेंस के बारे में लिखना असंभव-सा है, मुझसे श्यादा तो उनके बारे में छत पर बैठने वाली गौरैया जानती है।

बचपन में अन्य बच्चों के समान सालिम अली अपनी एयरगन से खेल रहे थे। खेलते समय उनकी एयरगन से एक चिड़िया घायल होकर गिर पड़ी थी। उसी दिन से सालिम अली के हृदय में पक्षियों के प्रति दया का भाव जाग उठा और वे पक्षियों की खोज तथा उनकी रक्षा के उपायों में लग गए। प्राकृतिक रहस्यों को जानने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। इसके लिए उन्होंने बड़े-से-बड़े तथा कठिन-से-कठिन कार्य किए।


 

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प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 46-47)

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प्रश्न 1 किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?

उत्तर- बचपन में एक बार मामा की दी हुई एयरगन से सालिम अली ने एक गौरैया का शिकार किया। मामा से गौरैया के बारे में जानकारी माँगनी चाही तो मामा ने उन्हें बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी [बी.एन.एच.एस] जाने के लिए कहा। बी.एन.एच.एस से इन्हें गौरैया की पूरी जानकारी मिली। उसी समय से सालिम अली के मन में पक्षियों के बारे में जानने की इतनी उत्सुकता जगी कि उन्होंने पक्षी विज्ञान को ही अपना करियर बना लिया।

प्रश्न 2 सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?

उत्तर- सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के सामने केरल की साइलेंट-वैली संबन्धी खतरों की बात उठाई होगी। उस समय केरल पर रेगिस्तानी हवा के झोंको का खतरा मंडरा रहा था। वहाँ का पर्यावरण दूषित हो रहा था। प्रधानमन्त्री को वातावरण की सुरक्षा का ध्यान था। पर्यावरण के दूषित होने के खतरे के बारे में सोचकर उनकी आँखे नम हो गई।

प्रश्न 3 लॉरेंस की पत्नी फ्रीदा ने ऐसा क्यों कहा होगा की “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”

उत्तर- लॉरेंस की पत्नी फ्रीदा जानती थी की लॉरेंस को गोरैया से बहुत प्रेम था। वे अपना काफी समय गोरैया के साथ बिताते थे। गोरैया भी उनके साथ अन्तरंग साथी जैसा व्यवहार करती थी। उनके इसी पक्षी-प्रेम को उदघाटित करने के लिए उन्होंने यह वाक्य कहा।

प्रश्न 4 आशय स्पष्ट कीजिए–

     i.        वो लारेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।

   ii.        कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।

 iii.        सलीम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।

उत्तर-

     i.        लॉरेंस का जीवन बहुत सीधा-सादा था, प्रकृति के प्रति उनके मन में जिज्ञासा थी। सालिम अली का व्यक्तित्व भी लॉरेंस की तरह ही सुलझा तथा सरल था।

   ii.        यहाँ लेखक का आशय है कि मृत व्यक्ति को कोई जीवित नहीं कर सकता। हम चाहे कुछ भी कर लें पर उसमें कोई हरकत नहीं ला सकते।

 iii.        सलीम अली प्रकृति के खुले संसार में खोंज करने के लिए निकले। उन्होंने स्वयं को किसी सीमा में कैद नहीं किया। वे एक टापू की तरह किसी स्थान विशेष या पशु-पक्षी विशेष में सीमित नहीं थे। उन्होंने अथाह सागर की तरह प्रकृति में जो-जो अनुभव आयी, उन्हें सँजोया। उनका कार्यक्षेत्र बहुत विशाल था।

प्रश्न 5 इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- लेखक की भाषा-शैली की विशेषताएँ—

     i.        इनकी शैली चित्रात्मक है। पाठ को पढ़ते हुए इसकी घटनाओं का चित्र उभर कर हमारे सामने आता है।

   ii.        लेखक ने भाषा में हिंदी के साथ-साथ कहीं-कहीं उर्दू तथा कहीं-कहीं अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग भी किया है।

 iii.        इनकी भाषा अत्यंत सरल तथा सहज है।

 iv.        अपने मनोभावों को प्रस्तुत करने के लिए लेखक ने अभिव्यक्ति शैली का सहारा लिया है।

प्रश्न 6 इस पाठ में लेखक ने सलीम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- सलीम अली अनन्य प्रकृति-प्रेमी थे। प्रकृति तथा पक्षियों के प्रति उनके मन में कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासा थी। लेखक के शब्दों में, "उन जैसा 'बर्ड-वाचर' शायद कोई हुआ है।"उन्हें दूर आकाश में उड़ते पक्षियों की खोंज करने का तथा उनकी सुरक्षा के उपाय कोजने का असीम चाव था। वे स्वभाव से परम घुमक्कड़ और यायावर थे। लम्बी यात्राओं ने उनके शरीर को कमज़ोर कर दिया था। व्यवहार में वे सरल-सीधे और भोले इंसान थे। वे बाहरी चकाचौंध और विशिष्टता से दूर थे।

प्रश्न 7 “साँवले सपनों की याद” शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिये।

उत्तर- “साँवले सपनों की याद” एक रहस्यात्मक शीर्षक है। यह रचना लेखक जाबिर हुसैन द्वारा अपने मित्र सलीम अली की याद में लिखा गया संस्मरण है। साँवले सपने” मनमोहक इच्छाओं के प्रतीक हैं। ये सपने प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सलीम अली से संबंधित हैं। सलीम अली जीवन-भर सुनहरे पक्षियों की दुनिया में खोए रहे। वे उनकी सुरक्षा और खोंज के सपनों में खोए रहे। ये सपने हर किसी को नहीं आते। हर कोई पक्षी-प्रेम में इतना नहीं डूब सकता। इसलिए आज जब सलीम अली नहीं रहे तो लेखक को उन साँवले सपनों की याद आती है जो सलीम अली की आँखों में बसते थे। ये शीर्षक सार्थक तो है किन्तु गहरा रहस्यात्मक है। चन्दन की तरह घिस-घिस कर इसके अर्थ तथा प्रभाव तक पहुँचा जा सकता है।

रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1 प्रस्तुत पाठ सलीम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?

उत्तर- पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं–

     i.        हमें पेड़ों की कटाई को रोकना होगा।

   ii.        वायु को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे लगाने चाहिए।

 iii.        प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम-से-कम प्रयोग करेंगे।

 iv.        जल प्रदूषित नहीं होने देना चाहिए।

   v.        फैक्ट्रियों से निकले दूषित पानी तथा कचरों का उचित तरीके से निपटारा करेंगे।

 vi.        सामाजिक उत्सवों में होने वाली तेज़ आवाज़ को रोककर हम ध्वनि प्रदूषण रोक सकते है।

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